अशोक खेमका: एक ईमानदार IAS अधिकारी की प्रेरणादायक जीवनगाथा | Ashok Khemka Biography in Hindi

अशोक खेमका (Ashok Khemka) भारत के उन गिने-चुने IAS अधिकारियों में से हैं, जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी अटल लड़ाई से देशभर में पहचान बनाई। 34 साल की सेवा में 57 बार ट्रांसफर और कई विवादों के बावजूद, उन्होंने कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। इस ब्लॉग में, हम उनकी जीवनी, शिक्षा, करियर, व्यक्तिगत जीवन, और समाज पर उनके प्रभाव को विस्तार से जानेंगे।

व्यक्तिगत जानकारी (Personal Details)

  • नाम: अशोक खेमका
  • जन्म तिथि: 30 अप्रैल, 1965
  • जन्म स्थान: कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत
  • उम्र: 60 वर्ष (30 अप्रैल, 2025 तक)
  • राशि: वृषभ (Taurus)
  • राष्ट्रीयता: भारतीय
  • धर्म: हिंदू
  • वैवाहिक स्थिति: विवाहित (पत्नी: ज्योति खेमका)
  • बच्चे: दो बेटे (गणेश और श्रीनाथ)
  • शारीरिक विशेषताएँ:
  • ऊंचाई: लगभग 5 फीट 8 इंच (173 सेमी)
  • वजन: लगभग 75 किलो (165 पाउंड)
  • आंखों का रंग: काला
  • बालों का रंग: काला

अशोक खेमका का जन्म एक साधारण मारवाड़ी परिवार में हुआ, जो 1900 के आसपास राजस्थान के झुंझुनू से कोलकाता आया था। उनके पिता, शंकर लाल खेमका, एक जूट मिल में अकाउंटेंट थे।

शिक्षा (Educational Background)

अशोक खेमका की शैक्षिक उपलब्धियाँ उनकी मेहनत और बुद्धिमत्ता का प्रमाण हैं:

  • स्कूली शिक्षा: सेंट जेवियर्स कॉलेजिएट स्कूल, कोलकाता, जहां वे मेधावी छात्र रहे।
  • स्नातक: IIT खड़गपुर से कम्प्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में B.Tech (1988), 9.87/10 CGPA के साथ।
  • उच्च शिक्षा:टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR),
  • मुंबई से कम्प्यूटर साइंस में Ph.D. (1990)।
  • बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और फाइनेंस में MBA।
  • इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (IGNOU) से अर्थशास्त्र में MA।
  • अतिरिक्त पढ़ाई: पंजाब यूनिवर्सिटी से LLB (2021 तक कोर्स जारी)।

उनकी शैक्षिक योग्यता उन्हें प्रशासनिक और तकनीकी मामलों में विशेषज्ञ बनाती है।

करियर अवलोकन (Career Overview)

अशोक खेमका 1991 बैच के हरियाणा कैडर के IAS अधिकारी हैं, जिन्हें उनकी ईमानदारी और भ्रष्टाचार विरोधी रुख के लिए जाना जाता है। 30 अप्रैल, 2025 को 34 साल की सेवा के बाद रिटायर होने तक, उन्हें 57 बार ट्रांसफर किया गया, जो हरियाणा में किसी भी नौकरशाह के लिए दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। उनकी सबसे छोटी पोस्टिंग केवल 11 दिन की थी।

प्रमुख मील के पत्थर (Key Milestones)

शुरुआती करियर

  • दो साल की ट्रेनिंग के बाद, खेमका ने सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) के रूप में करियर शुरू किया।
  • अनौपचारिक या असामान्य अनुरोधों के लिए लिखित आदेश मांगने की उनकी आदत ने वरिष्ठ अधिकारियों और राजनेताओं से टकराव पैदा किया।
  • सरकार के दो साल की न्यूनतम पोस्टिंग नियम के बावजूद, वे कभी 18 महीने से ज्यादा एक जगह नहीं रहे।

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई

रॉबर्ट वाड्रा-DLF लैंड डील (2012)

  • लैंड कंसॉलिडेशन और रजिस्ट्रेशन के डायरेक्टर-जनरल के रूप में, खेमका ने गुरुग्राम के शिखोपुर गांव में 3.53 एकड़ जमीन की म्यूटेशन रद्द की। यह डील स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी (रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी) और DLF के बीच थी।
  • वाड्रा ने फरवरी 2008 में 7.5 करोड़ रुपये में जमीन खरीदी और कुछ महीनों में 58 करोड़ रुपये में DLF को बेच दी। खेमका ने इसे फर्जी सौदा करार दिया, क्योंकि वाड्रा ने शुरुआत में पैसे नहीं चुकाए थे।
  • इसके बाद, उन्हें 11 अक्टूबर, 2012 को ट्रांसफर कर दिया गया। हरियाणा सरकार ने वाड्रा को क्लीन चिट दी और खेमका पर वाड्रा की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया।
  • खेमका ने आठ अध्यायों की विस्तृत रिपोर्ट दी, जिसमें छठा अध्याय वाड्रा-DLF डील पर केंद्रित था। इस मामले में उन्हें जान से मारने की धमकियां भी मिलीं।

अन्य लैंड स्कैम

  • भूपेंद्र हुड्डा सरकार के दौरान सोनीपत-खरखोदा IMT और गढ़ी सांपला उद्दर गगन लैंड केस में अनियमितताओं का खुलासा किया।
  • गुरुग्राम के आसपास 20,000 करोड़ से 3,50,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी वाली जमीन सौदों को उजागर किया।
  • लैंड कंसॉलिडेशन विभाग में 80 दिनों के कार्यकाल में, उन्होंने पंचायत की सैकड़ों करोड़ की जमीन को रियल एस्टेट कंपनियों को ट्रांसफर करने की अनियमितताओं को पकड़ा।

हरियाणा सीड्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (HSDC)

  • मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में, खेमका ने बायर कंपनी से बिना टेंडर के महंगे दामों पर फंगीसाइड खरीदने के बहु-करोड़ घोटाले का पर्दाफाश किया।
  • पांच महीने बाद, 4 अप्रैल, 2013 को उन्हें जूनियर-लेवल पोस्ट पर ट्रांसफर कर दिया गया।

अन्य उल्लेखनीय कार्य

  • 2004: सेकेंडरी एजुकेशन डायरेक्टर के रूप में, मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश पर शिक्षकों के ट्रांसफर से इनकार किया। इसके बाद उनका ट्रांसफर हुआ और सरकारी वाहन वापस ले लिया गया। खेमका रोज 6 किमी पैदल चलकर चंडीगढ़ ऑफिस जाते थे।
  • 2014: ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के रूप में, उन्होंने ओवरलोडिंग और निजी बस ऑपरेटरों के एकाधिकार के खिलाफ अभियान चलाया, जिससे ट्रक और बस यूनियनों की हड़ताल हुई। अप्रैल 2015 में उन्हें पुरातत्व विभाग में ट्रांसफर किया गया।
  • 2017: सोशल जस्टिस विभाग में प्रिंसिपल सेक्रेटरी के रूप में, मंत्री कृष्ण बेदी के साथ विभागीय वाहन के दुरुपयोग पर टकराव हुआ।

विवाद और आरोप (Controversies and Chargesheets)

2012: वाड्रा-DLF डील रद्द करने पर हरियाणा सरकार ने उन पर वाड्रा की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और अवैध रूप से डील रद्द करने का आरोप लगाया।

2013: HSDC में कर्तव्यों में विफलता और कम बीज बिक्री के लिए दो चार्जशीट दायर की गईं।

2022: पूर्व IAS अधिकारी रोशन लाल ने खेमका पर हरियाणा स्टेट वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन में अयोग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति का आरोप लगाया।

2024: संजीव वर्मा ने 12-14 साल पहले वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन में नियुक्तियों में अनियमितताओं के लिए खेमका के खिलाफ आपराधिक केस की सिफारिश की।

मार्च 2024: सुप्रीम कोर्ट ने खेमका को दी गई उच्च ACR ग्रेड से संबंधित हाई कोर्ट के फैसले को रद्द किया।

पुरस्कार और सम्मान (Awards and Recognition)

  • 2009: मंजुनाथ शानमुगम ट्रस्ट कमेंडेशन फॉर पब्लिक वर्क्स।
  • 2011: संजीव चतुर्वेदी के साथ “क्रूसेड अगेंस्ट करप्शन” के लिए S.R. जिंदल पुरस्कार, जिसमें 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार मिला।
  • उनकी कहानी Just Transferred: The Untold Story of Ashok Khemka नामक किताब में दर्ज है, जिसे भावदीप कांग और नमिता कला ने लिखा।

व्यक्तिगत जीवन और दर्शन (Personal Life and Philosophy)

जीवनशैली: खेमका 1997 से चंडीगढ़ में दो बेडरूम के सरकारी क्वार्टर में रहते हैं, हालांकि वे 2007 से बड़े आवास के हकदार थे।

परिवार: उनकी पत्नी ज्योति ने वाड्रा केस के बाद उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। उनका बड़ा बेटा हैदराबाद में कानून की पढ़ाई कर रहा है, और छोटा बेटा 2012 तक चंडीगढ़ में कक्षा 11 में था।

दर्शन: खेमका खुद को “ईमानदार” कहलाना पसंद नहीं करते। उनका मानना है कि सिविल सेवक, चाहे वह प्रधानमंत्री हों या मुख्यमंत्री, जनता के सेवक हैं, न कि मालिक।

राजनीतिक रुख: उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) के राजनीति में शामिल होने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कहा कि वे 60 साल की उम्र से पहले राजनीति पर विचार नहीं करेंगे।

निष्कर्ष (Conclusion)

अशोक खेमका की जीवनी एक ऐसी कहानी है, जो साहस, ईमानदारी, और सिद्धांतों की ताकत को दर्शाती है। उनके 57 ट्रांसफर और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई ने उन्हें “The IAS Officer Who Dares” की उपाधि दी। उनकी विरासत हमें सिखाती है कि सच्चाई और नैतिकता के रास्ते पर चलना आसान नहीं, लेकिन असंभव भी नहीं।

क्या आप अशोक खेमका के किसी विशेष कार्य के बारे में और जानना चाहते हैं? नीचे कमेंट करें!

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