अलोक जोशी: भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के दिग्गज | Alok Joshi: A Stalwart of India’s National Security

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया तंत्र में अपनी विशिष्ट सेवाओं के लिए प्रसिद्ध, अलोक जोशी एक पूर्व भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी हैं। उन्होंने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) के प्रमुख और नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (NTRO) के अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। अप्रैल 2025 में, उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जो भारत की सुरक्षा रणनीति को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाता है। यह ब्लॉग अलोक जोशी के जीवन, शिक्षा, करियर, और राष्ट्रीय सुरक्षा में उनके योगदान पर प्रकाश डालता है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जन्मस्थान: अलोक जोशी का जन्म उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ, जो उनकी सांस्कृतिक और बौद्धिक जड़ों को दर्शाता है।
शिक्षा: उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), नई दिल्ली से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर (Postgraduate) की डिग्री हासिल की। उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि ने खुफिया और सुरक्षा विश्लेषण में उनकी गहरी समझ को मजबूत किया।
प्रशिक्षण: अपने करियर के दौरान, जोशी ने यूनाइटेड किंगडम के वेस्ट यॉर्कशायर पुलिस ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट सेंटर में एक कमांड कोर्स पूरा किया। इस प्रशिक्षण ने उनकी पुलिसिंग और सुरक्षा संचालन में विशेषज्ञता को और निखारा।

भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में करियर

  • IPS में प्रवेश: 1976 में, अलोक जोशी ने भारतीय पुलिस सेवा में एक नियमित भर्ती (Regular Recruit) के रूप में प्रवेश किया और उन्हें हरियाणा कैडर आवंटित किया गया।
  • प्रारंभिक भूमिकाएँ: उन्होंने हरियाणा पुलिस में विभिन्न पदों पर सेवा दी और बाद में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), भारत की आंतरिक खुफिया एजेंसी, में शामिल हुए। उनकी शुरुआती जिम्मेदारियों में नेपाल और पाकिस्तान में सीमा-पार खुफिया ऑपरेशनों का संचालन शामिल था, जिसने उनकी रणनीतिक क्षमता को उजागर किया।
  • इंटेलिजेंस ब्यूरो (2005): 2005 में, जोशी को IB का जॉइंट डायरेक्टर नियुक्त किया गया। इस दौरान, उन्होंने जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद-रोधी अभियानों और माओवादी गतिविधियों पर नजर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) में नेतृत्व

स्पेशल सेक्रेटरी (2010): 2010 में, जोशी को R&AW में स्पेशल सेक्रेटरी नियुक्त किया गया। इस भूमिका में, उन्होंने विदेशी खुफिया संचालन की देखरेख की और भारत की वैश्विक सुरक्षा रणनीति को मजबूत किया।
R&AW प्रमुख (2012–2014): 30 दिसंबर 2012 को, जोशी ने R&AW के सचिव (Secretary R) का पद संभाला। उनकी नियुक्ति तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने दो वर्ष के लिए या अगले आदेश तक स्वीकृत की थी।

  • मुख्य योगदान:
  • जोशी ने पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की गतिविधियों का मुकाबला करने पर विशेष ध्यान दिया।
  • उन्होंने नेपाल और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में भारत के खुफिया नेटवर्क को मजबूत किया।
  • 2013 के देपसांग गतिरोध (Depsang Standoff) के दौरान, उन्होंने भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया में सलाहकार की भूमिका निभाई।
  • चयन: जोशी को 1977 बैच के IPS अधिकारी अमिताभ माथुर पर वरिष्ठता और व्यापक अनुभव के आधार पर प्राथमिकता दी गई।

नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (NTRO) के अध्यक्ष

कार्यकाल (2015–2018): R&AW से सेवानिवृत्त होने के बाद, जोशी को NTRO का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। यह भारत की प्रमुख तकनीकी खुफिया एजेंसी है।

  • उपलब्धियाँ:
  • ड्रोन और साइबर सेंटर: 2018 में, जोशी के नेतृत्व में देहरादून में भारत का पहला ड्रोन एप्लिकेशन रिसर्च सेंटर और साइबर सिक्योरिटी सेंटर स्थापित किया गया।
  • NCIIPC को मजबूती: उन्होंने नेशनल क्रिटिकल इंफॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर (NCIIPC) को सुदृढ़ किया, जिससे साइबर खतरों के खिलाफ भारत की रक्षा क्षमता बढ़ी।
  • साइबर सुरक्षा विशेषज्ञता: जोशी ने आधुनिक सुरक्षा चुनौतियों, विशेष रूप से साइबर खतरों, पर ध्यान केंद्रित किया, जो बाद में NSAB में उनके योगदान का आधार बना।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB)

  • प्रारंभिक नियुक्ति (2019): मार्च 2019 में, जोशी को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल के मार्गदर्शन में NSAB में शामिल किया गया। उनकी विशेषज्ञता ने बोर्ड की क्षमताओं को और मजबूत किया।
  • अध्यक्ष, NSAB (2025): 30 अप्रैल 2025 को, मोदी सरकार ने NSAB का पुनर्गठन किया और जोशी को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया। यह नियुक्ति 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद हुई, जिसमें 26 लोग मारे गए थे।
  • बोर्ड की संरचना: जोशी सात सदस्यीय बोर्ड का नेतृत्व करते हैं, जिसमें शामिल हैं:
  • सैन्य: एयर मार्शल पी.एम. सिन्हा (सेवानिवृत्त), लेफ्टिनेंट जनरल एके सिंह (सेवानिवृत्त), रियर एडमिरल मॉन्टी खन्ना (सेवानिवृत्त)।
  • पुलिस: राजीव रंजन वर्मा, मनमोहन सिंह (सेवानिवृत्त IPS अधिकारी)।
  • कूटनीति: बी. वेंकटेश वर्मा (सेवानिवृत्त IFS अधिकारी)।
    भूमिका और अपेक्षाएँ: NSAB, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) को दीर्घकालिक विश्लेषण और नीतिगत सिफारिशें प्रदान करता है। जोशी के नेतृत्व में, बोर्ड का ध्यान साइबर सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी रणनीतियों, और पाकिस्तान व चीन जैसे क्षेत्रीय भू-राजनीतिक चुनौतियों पर केंद्रित है।
  • रणनीतिक संदर्भ: पहलगाम हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक ने भारत की सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।

अन्य भूमिकाएँ और योगदान

  • GBR मेमोरियल फाउंडेशन: जोशी GBR मेमोरियल फाउंडेशन के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य हैं, जो भारत के पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की स्मृति में स्थापित किया गया है।
  • रणनीतिक सलाहकार: जोशी ने 2001 की परमाणु सिद्धांत मसौदा, 2002 की रणनीतिक रक्षा समीक्षा, और 2007 की राष्ट्रीय सुरक्षा समीक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • विशेषज्ञता: 35 वर्षों से अधिक के अनुभव के साथ, जोशी ने ISI की गतिविधियों का मुकाबला करने से लेकर सीमा गतिरोधों पर सलाह देने तक, उच्च-दबाव वाले वातावरण में नेतृत्व प्रदान किया।

व्यक्तिगत गुण और विरासत

रणनीतिक दूरदर्शिता: जोशी को उनकी रणनीतिक सोच और ऑपरेशनल विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। R&AW, NTRO, और NSAB में उनकी नियुक्तियाँ उनके जटिल भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटने की क्षमता को दर्शाती हैं।
आधुनिक सुरक्षा प्रणाली: NSA अजीत डोवल के साथ मिलकर, जोशी ने भारत की सुरक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वर्तमान प्रासंगिकता: 2025 में NSAB के अध्यक्ष के रूप में, जोशी का नेतृत्व पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच महत्वपूर्ण है। उनकी साइबर सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी रणनीतियाँ आधुनिक सुरक्षा प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं।

निष्कर्ष

अलोक जोशी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के एक मजबूत स्तंभ हैं। उनकी यात्रा, लखनऊ से लेकर R&AW, NTRO, और अब NSAB तक, उनके समर्पण और विशेषज्ञता को दर्शाती है। 2025 में, जब भारत क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहा है, जोशी का नेतृत्व देश की सुरक्षा रणनीति को नई दिशा दे रहा है।

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