अनुपम खेर का संघर्ष: छोटे शहर के लड़के से बॉलीवुड icon तक की प्रेरणादायक यात्रा


वयोवृद्ध अभिनेता अनुपम खेर ने ‘द इम्पॉसिबल शो’ में ओयो के सीईओ रितेश अग्रवाल के साथ अपनी यात्रा साझा की। जानिए कैसे एक छोटे शहर का लड़का संघर्षों को पार कर बॉलीवुड का सितारा बना।

अनुपम खेर: संघर्ष और सफलता की मिसाल.


वयोवृद्ध अभिनेता अनुपम खेर की जीवन यात्रा एक “अंडरडॉग स्टोरी” है। एक छोटे शहर का सपनों भरा लड़का, जिसने बॉलीवुड की बुलंदियों को छूने से पहले जीवन के निचले पायदान देखे। उनकी कहानी साबित करती है कि मेहनत और हिम्मत से मंजिल तक पहुँचा जा सकता है.

हाल ही में हिंदुस्तान टाइम्स के शो ‘द इम्पॉसिबल शो’ में अनुपम खेर ने ओयो के सीईओ और छोटे शहर से उभरे सफल उद्यमी रितेश अग्रवाल के साथ बातचीत की। इस एपिसोड में दोनों ने चुनौतियों को अवसर में बदलने के गुर साझा किए।

40 साल के करियर का सफर: संघर्ष, असफलताएं, और सीख

4 दशक लंबे करियर में अनुपम खेर ने कई उतार-चढ़ाव देखे। उनका मानना है, “किस्मत बहादुरों का साथ देती है, लेकिन मंजिल तक पहुँचाने का काम हौसला करता है।” अपने अनुभवों के जरिए वे यह सीख देते हैं कि सफलता सिर्फ मुकाम पाने में नहीं, बल्कि हर परिस्थिति में खुद को सच्चाई से जीने में है।

अभिनय की कला: अनुपम खेर का अद्वितीय अंदाज

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अनुपम खेर ने बॉलीवुड में अपनी वर्सेटिलिटी के लिए पहचान बनाई। 90 के दशक में हम आपके हैं कौन में वे एक हंसमुख पिता की भूमिका में छाए, तो दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे और खोसला का घोसला जैसी फिल्मों में उनका कॉमिक टाइमिंग लाजवाब रहा। वहीं, ए वेडनेसडे जैसी थ्रिलर में उन्होंने मुंबई को बचाने वाले कठोर पुलिस कमिश्नर का किरदार निभाकर दर्शकों को हैरान कर दिया।

खेर के किरदारों में गहराई और यथार्थ उनकी मेथड एक्टिंग का नतीजा है। वे अपने जीवन के अनुभवों को पर्दे पर उतारते हैं। उनका कहना है, “कलाकार को जोखिम लेना आना चाहिए।”

सारांश (1984): पहली फिल्म, पहला जोखिम

अपने डेब्यू फिल्म सारांश में 28 साल की उम्र में 65 साल के बुजुर्ग का रोल निभाकर खेर ने सबको चौंका दिया। उन्होंने बताया, “लोगों ने पूछा, ‘इतना बड़ा रिस्क लेने की हिम्मत कैसे हुई?’ मैं समझ गया था कि अगर यह रोल हिट हुआ, तो मेरा करियर बन जाएगा।” 1985 में इस भूमिका के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिला। यह जोखिम सफल रहा!

चुनौतियों से भरा सफर: मुंबई की कठिन शुरुआत

बॉलीवुड के कई सितारों के विपरीत, अनुपम खेर के पास फिल्म इंडस्ट्री का कोई बैकग्राउंड नहीं था। मुंबई के शुरुआती दिनों में उन्होंने रेलवे स्टेशन पर सोना, ऑडिशन में रिजेक्शन, और आत्मसंदेह जैसी मुश्किलें झेलीं। वे कहते हैं, “भीगा हुआ आदमी बारिश से नहीं डरता” – यह फिलॉसफी उन्हें हर चुनौती को अवसर में बदलने की ताकत देती है।

उनकी सोच है कि “असफलता एक घटना है, व्यक्ति नहीं।” यही सोच उन्हें दूसरों से अलग बनाती है।

परिवार और मेंटरशिप: सफलता की नींव

अनुपम खेर की सफलता में उनके पिता का बड़ा योगदान रहा। वे बताते हैं, “मेरे पिता हर रोल पर हैरान होते थे। चाहे मैं 5वीं क्लास के नाटक में हो या फिल्मों में – उनकी प्रतिक्रिया हमेशा एक जैसी होती: ‘वाह! मेरा बेटा अद्भुत है!'”

खेर ने दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में अपने पिता की छवि को पर्दे पर उतारा। एक बार क्लास में फेल होने पर पिता ने कहा था, “गिरना सामान्य है, महत्वपूर्ण है उठकर आगे बढ़ना।” यह सीख उनके जीवन का आधार बनी।

फाइनेंशियल समझ और युवाओं को सीख

मुंबई में शुरुआती दिनों में अनुपम खेर ने दोस्तों से उधार लेकर गुजारा किया। पहली बड़ी कमाई ने उन्हें फाइनेंशियल डिसिप्लिन का महत्व सिखाया। आज भी वे युवाओं को सलाह देते हैं: “सफलता पैसे या शोहरत में नहीं, अपने असली स्व को बनाए रखने में है।”

लेगेसी: एक्टिंग स्कूल और युवा प्रेरणा

अनुपम खेर ने एक्टर प्रिपेयर्स स्कूल के जरिए नए कलाकारों को ट्रेनिंग दी है। उनका मानना है कि “हर व्यक्ति के अंदर एक कलाकार छुपा होता है।” सोशल मीडिया के दौर में वे युवाओं को संदेश देते हैं: “दिखावे की दुनिया में असली होने का डर क्रिएटिविटी को मार देता है।”

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अनुपम खेर के बारे में रोचक तथ्य: जानिए उनके जीवन के अनछुए पहलू

वयोवृद्ध अभिनेता अनुपम खेर ने न सिर्फ बॉलीवुड, बल्कि हॉलीवुड से लेकर साहित्य और सामाजिक कार्यों तक अपनी छाप छोड़ी है। आइए जानते हैं उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प और कम ज्ञात तथ्य जो उन्हें और भी खास बनाते हैं:

 1. हॉलीवुड में छाई अनुपम खेर की धमक .

अनुपम खेर भारत से परे ग्लोबल सिनेमा के चहेते हैं। उन्होंने हॉलीवुड फिल्मों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है:  

 सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक (2012): इस ऑस्कर नॉमिनेटेड फिल्म में उन्होंने डॉ. पटेल का रोल निभाया, जो हीरो ब्रैडली कूपर के थेरेपिस्ट थे।  

 दी बिग सिक (2017): एक पाकिस्तानी पिता की भूमिका में उनका अभिनय अंतरराष्ट्रीय दर्शकों को भाया।  

 न्यू एम्स्टर्डम (2018-2023): इस अमेरिकन मेडिकल ड्रामा सीरीज में वे डॉ. विजय कापूर के किरदार में नजर आए।  

 2. पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित. 

अपने योगदान के लिए अनुपम खेर को 2004 में पद्मश्री और 2016 में पद्म भूषण से नवाजा गया। इसके अलावा:  

 नेशनल अवार्ड: सारांश (1984) और द होम एंड द वर्ल्ड (2001) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता।  

 हॉलीवुड फेस्टिवल अवार्ड: 2022 में कश्मीर फाइल्स के लिए “बेस्ट एक्टर इन ए लीडिंग रोल”।  

 3. साहित्य प्रेमी: मोटिवेशनल बुक्स के लेखक .

अनुपम खेर ने जीवन के संघर्षों और सबक को किताबों में पिरोया है:  

 “द बेस्ट थिंग अबाउट यू इज यू!” (2011): यह सेल्फहेल्प बुक युवाओं को प्रेरित करती है।  

 “योर बेस्ट डे इज टुडे!” (2023): इसमें वे जीवन को सकारात्मक नजरिए से देखने की सलाह देते हैं।  

 4. थिएटर का सफर: ‘कुछ भी हो सकता है’  

फिल्मों से पहले अनुपम खेर ने थिएटर में खूब नाम कमाया। उनका ऑटोबायोग्राफिकल प्ले “कुछ भी हो सकता है” 2000 से अब तक 700+ शो दे चुका है। यह नाटक उनके संघर्षों और मजेदार अनुभवों पर आधारित है।  

 5. राजनीतिक विचारों पर बहस  

अनुपम खेर राजनीति में सक्रिय रूप से आवाज उठाते हैं:  

 वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के समर्थक हैं और मोदी सरकार की नीतियों का खुलकर साथ देते हैं।  

 2019 में उन्होंने कश्मीर फाइल्स के प्रचार के दौरान कहा, “यह फिल्म इतिहास का सच दिखाती है, जिसे छिपाया गया।”  

 6. निजी जीवन: किरण खेर और बिना बच्चों का फैसला  

 अनुपम खेर ने 1985 में अभिनेत्री किरण खेर से शादी की, जो अब भारतीय जनता पार्टी की MP हैं।  

 दोनों ने बच्चे न पैदा करने का फैसला लिया। अनुपम कहते हैं, “हमने अपनी प्राथमिकताएं तय कीं। किरण मेरी सबसे बड़ी सपोर्टर हैं।”  

 7. डिप्रेशन से लड़ाई और मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता  

अपनी आत्मकथा “द बेस्ट थिंग अबाउट यू इज यू!” में उन्होंने खुलासा किया कि 1990 के दशक में वे गंभीर डिप्रेशन से जूझे। इसके बाद उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया।  

 8. गांधी जी का किरदार: 5 बार पर्दे पर  

अनुपम खेर ने महात्मा गांधी का रोल कई प्रोजेक्ट्स में निभाया:  

 “गांधी” (1982) में छोटासा कैमियो।  

 “सरदार” (1993) और “मैंने गांधी को नहीं मारा” (2005) में मुख्य भूमिका।  

 9. बॉलीवुड के सबसे व्यस्त अभिनेता  

 500+ फिल्में: अनुपम खेर ने हिंदी, पंजाबी, तेलुगु, और मलयालम सिनेमा में काम किया है।  

 रिकॉर्ड: 1985 में उनकी 14 फिल्में रिलीज हुईं, जो उस समय एक कीर्तिमान था।  

 10. अनोखी आदतें: डायरी लिखना और शेरओशायरी  

 अनुपम खेर रोज डायरी लिखते हैं। उनका कहना है, “यह मुझे खुद को समझने में मदद करता है।”  

 उन्हें उर्दू शायरी का शौक है। वे अक्सर अपने इंटरव्यूज़ में ग़ालिब और इकबाल के शेर सुनाते हैं।  

निष्कर्ष:
अनुपम खेर की जीवन यात्रा सिखाती है कि शुरुआत चाहे कितनी भी मुश्किल हो, मेहनत, ईमानदारी और हौसले से महानता हासिल की जा सकती है। उनका सफर न सिर्फ बॉलीवुड बल्कि हर सपने देखने वाले के लिए मार्गदर्शक है।अनुपम खेर सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक मल्टीडायमेंशनल व्यक्तित्व हैं। उनका जीवन फिल्मों, लेखन, सामाजिक कार्यों, और व्यक्तिगत संघर्षों से भरा है, जो हर किसी को प्रेरित करता है।

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