दोस्तों, नटराज और अप्सरा पेंसिल्स हम सभी के बचपन की साथी रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब तीन दोस्तों ने इस कंपनी की शुरुआत की थी, तब लोग उन पर हंसते थे? उनसे कहा जाता था, “पेंसिल बनाकर करोड़पति बनोगे क्या?” लेकिन आज यही पेंसिल बनाने वाली कंपनी एक छोटी सी शुरुआत से निकलकर करोड़ों का साम्राज्य बन चुकी है। आइए, आज जानते हैं कि बीजे सांगवी और उनके दोस्तों ने कैसे हर मुश्किल को पार करते हुए हिंदुस्तान पेंसिल्स को भारत के टॉप स्टेशनरी ब्रांड्स में खड़ा किया।
1950 का दशक:
भारत की चुनौतियाँ और एक सपना
साल 1950 था। भारत अभी-अभी आजाद हुआ था, और यहाँ पढ़ाई का सपना देखने वाले लाखों बच्चों के पास एक अच्छी पेंसिल तक नहीं थी। कुछ अमीर बच्चे महंगी विदेशी पेंसिल्स खरीद सकते थे, लेकिन बाकी के लिए सिर्फ कुछ गिनी-चुनी स्थानीय पेंसिल्स ही उपलब्ध थीं, जो कमजोर थीं, जल्दी टूट जाती थीं, और लिखते समय हाथ काले हो जाते थे।
उस समय भारत में अच्छी गुणवत्ता वाली पेंसिल्स बनती ही नहीं थीं। अगर किसी को क्वालिटी पेंसिल चाहिए होती थी, तो उसे इंग्लैंड, जर्मनी या जापान से आयातित महंगी पेंसिल्स खरीदनी पड़ती थी। एडब्ल्यू फेबर, कास्टल, मित्सुबिशी और स्टेडलर जैसी विदेशी कंपनियाँ भारतीय बाजार पर राज कर रही थीं। लेकिन एक आम मध्यम वर्ग के व्यक्ति के लिए इतनी महंगी पेंसिल खरीद पाना लगभग असंभव था।
Natraj pencil owner family
एक सपने की शुरुआत
इन्हीं हालातों से गुजरते हुए बीजे सांगवी, जिन्हें बाबू भाई के नाम से भी जाना जाता है, बड़े हुए। वे पढ़ाई में तेज थे, लेकिन आर्थिक तंगी ने उनका रास्ता रोक दिया। उन्होंने हाई स्कूल तो पूरा कर लिया, लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे। इसलिए उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी, और उनका इंजीनियरिंग का सपना अधूरा रह गया।
जब बाबू भाई थोड़े बड़े हुए, तो उन्होंने देखा कि गरीब बच्चों के पास एक मामूली पेंसिल तक नहीं है। यह देखकर उन्होंने ठान लिया कि वे बच्चों की इस समस्या को खत्म करके ही रहेंगे।
पेंसिल बनाने की चुनौतियाँ
1950 के दशक के अंत तक भारत में एक बड़ा बदलाव आने लगा। सरकार ने विदेशी आयात पर निर्भरता कम करने के लिए स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया। यही वह समय था जब बीजे सांगवी ने अपने दो करीबी दोस्तों, रामनाथ मेहरा और मनसुखानी के साथ मिलकर पेंसिल बनाने का फैसला लिया।
लेकिन पेंसिल बनाना इतना आसान नहीं था। उस समय पेंसिल निर्माण की तकनीक सिर्फ कुछ विदेशी कंपनियों के पास थी। इन तीनों दोस्तों के पास जुनून तो था, लेकिन ज्ञान नहीं था। इसलिए वे जर्मनी गए और वहाँ पेंसिल निर्माण की बारीकियाँ सीखीं।
स्वदेशी समाधान:
पॉपुलर वुड और ग्रेफाइट कोर
पेंसिल बनाने के लिए दो मुख्य सामग्री की जरूरत होती है: हाई क्वालिटी वुड और ग्रेफाइट कोर। सीडर वुड (देवदार की लकड़ी) जो विदेशों में पाई जाती थी, को आयात करना बहुत महंगा था। इसलिए तीनों दोस्तों ने भारत में ही एक बेहतर विकल्प ढूंढने का फैसला लिया।
कई महीनों की मेहनत के बाद उन्हें पॉपुलर वुड (चिनार की लकड़ी) मिली, जो सीडर वुड जितनी ही मजबूत और टिकाऊ थी। इसके बाद उन्होंने ग्रेफाइट कोर के लिए एक नया फॉर्मूला विकसित किया, जो न सिर्फ स्मूथ था, बल्कि टिकाऊ भी था।
हिंदुस्तान पेंसिल्स की स्थापना
1958 में हिंदुस्तान पेंसिल्स लिमिटेड की स्थापना हुई, और उसी साल नटराज 621 एबी पेंसिल लॉन्च हुई। यह पेंसिल न सिर्फ विदेशी ब्रांड्स के बराबर थी, बल्कि भारतीय मौसम के हिसाब से और भी ज्यादा टिकाऊ थी।
मार्केटिंग और सफलता
शुरुआत में लोगों को भरोसा दिलाना सबसे बड़ी चुनौती थी। कंपनी ने स्कूलों और कॉलेजों में नटराज पेंसिल्स के फ्री सैंपल बांटे। जैसे ही छात्रों ने इसे आजमाया, उन्हें तुरंत फर्क महसूस हुआ।
1970 तक नटराज 621 एबी भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाली पेंसिल बन चुकी थी। इसके बाद कंपनी ने अप्सरा ब्रांड लॉन्च किया, जो प्रोफेशनल आर्टिस्ट्स और डिजाइनर्स के लिए बनाई गई थी।
ग्लोबल पहचान और आगे का सफर ।
1990 के दशक में हिंदुस्तान पेंसिल्स ने विदेशी बाजारों में भी अपनी पहचान बनाई। आज यह कंपनी भारत के स्टेशनरी बाजार में 65% हिस्सेदारी रखती है और हर दिन 8 मिलियन पेंसिल्स बनाती है।
निष्कर्ष:
नटराज और अप्सरा पेंसिल्स ने न सिर्फ भारत के स्टेशनरी बाजार को बदल दिया, बल्कि यह हर भारतीय की यादों का हिस्सा बन चुकी हैं। यह कहानी साबित करती है कि मेहनत, लगन और इनोवेशन से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।
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नटराज पेंसिल: FAQs-
1. नटराज पेंसिल क्या है?
जवाब: नटराज पेंसिल एक प्रसिद्ध भारतीय ब्रांड है, जो उच्च गुणवत्ता वाली पेंसिल्स, इरेज़र और शार्पनर बनाता है।
2. नटराज पेंसिल की विशेषताएं क्या हैं?
जवाब:
– उच्च गुणवत्ता वाली लकड़ी और ग्रेफाइट।
– आरामदायक पकड़ और टिकाऊ डिज़ाइन।
– HB, 2B, और रंगीन पेंसिल्स में उपलब्ध।
– किफायती कीमत।
3. नटराज पेंसिल्स कहाँ से खरीदें?
जवाब: स्थानीय स्टेशनरी शॉप, सुपरमार्केट, या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे Amazon और Flipkart से खरीदें।
4. नटराज पेंसिल्स के प्रकार क्या हैं?
जवाब:
– HB पेंसिल (सामान्य लेखन)।
– 2B पेंसिल (स्केचिंग)।
– रंगीन पेंसिल (कलरिंग)।
– मैकेनिकल पेंसिल (पेशेवर उपयोग)।
5.Natraj company क्या यह इंडियन company है?
जवाब:
-हा यह इंडियन comney है.Hindustan Pencils Pvt. Ltd.
Website –https://www.hindustanpencils.com